भूख से मौत और तीन करोड़ राशन कार्ड रद्द करने के आरोपों की जांच को तैयार केंद्र सरकार

केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में झारखंड में भूख से मौत और देशभर में गरीब लोगों के करीब तीन करोड़ राशन कार्डों को मनमाने तरीके से रद्द करने के आरोपों का खंडन किया। सरकार ने जोर देकर कहा कि वह इन आरोपों को गलत साबित करने के लिए जांच के लिए तैयार है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कांत की पीठ को बताया कि पहले याचिकाकर्ताओं को हलफनामा रखने दीजिए। इसका मैं जवाब दूंगा और दिखाऊंगा कि ये सभी गलत हैं। ये सभी गलत आंकड़े हैं। 


वेणुगोपाल ने वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विस द्वारा दी जा रही दलीलों के दौरान हस्तक्षेप करते हुए यह बात कही। गोंजाल्विस एक पीआईएल के लिए कोर्ट में पेश हुए जिसमें आरोप लगाया गया है कि झारखंड में एक परिवार को आधार कार्ड नहीं होने की वजह से राशन नहीं दिया गया और इस वजह से 13 वर्षीय एक बच्ची की भूख के चलते मौत हो गई। साथ ही उन्होंने दावा किया कि देशभर में गरीब परिवारों के करीब तीन करोड़ राशन कार्ड रद्द कर दिए गए।

अटॉर्नी जनरल ने दलील दी कि केंद्र इस मुद्दे पर व्यापक हलफनामा दाखिल करेगा और वह इसके लिए राज्य सरकारों के जवाब का इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्यों के जवाब के बाद केंद्र हलफनामा दाखिल करेगा। पीआईएल याचिकाकर्ता और केंद्र सरकार ने राशन कार्डों को रद्द करने के आंकड़ों को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगाए। पीठ ने आदेश दिया कि वह इस मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद करेगा। साथ ही उसने राज्यों को इस समय सीमा के अंदर अपना जवाब देने का निर्देश दिया है।